Wednesday, 10 June 2015

चैट से चुदाई तक

चैट से चुदाई तक

हाय, मेरा नाम तरुण है और मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी बता रहा हूँ।
मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र छब्बीस साल है और मैं कुँवारा हूँ। मेरी लम्बाई पांच फ़ीट सात इंच है और मेरे पप्पू की छेह इंच।

मैं याहू-मैसेंजर पर बहुत बातचीत (चैट) करता था, लगभग पांच-छेह घंटे दिन में।

इसी दौरान मेरी बातचीत (चैट) एक लड़की से होने लगी जो कि सिक्किम की थी और धीरे-धीरे हमने सेक्स-चैट करनी शुरू कर दी।

उसका नाम श्रुति है और लम्बाई पांच फ़ीट दो इंच, फिगर लगभग 34-26-36।

मैं दिल्ली में अकेले ही रहता हूँ क्यूँकि मम्मी-पापा ज्यादातर रिश्तेदारों के पास दूसरे शहर में रहते हैं क्यूँकि वहाँ भी हमारा मकान बन रहा है।

श्रुति बी.पी.ओ. में काम करती थी। एक दिन उसने मुझे बताया कि उसका स्थानांतरण (जॉब-पोस्टिंग) अब दिल्ली में ही हो गया है जिसे सुन कर मैं बहुत खुश हुआ।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए, फिर हमने एक शनिवार-इतवार को मिलने का सोचा। श्रुति लड़कियों के पी.जी. में रहती है।

मैं उससे पूछ कर उसे अपने घर शनिवार रात को ले आया उस वक़्त करीब छेह बज रहा था। हम लोग बिस्तर में बैठ कर बात कर रहे थे क्यूँकि सर्दियों का वक़्त था और ठंड बहुत हो रही थी।

बात करते-करते मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया, थोड़ी देर बाद हमने एक साथ खाना खाया और वह अपने पी.जी. जाने को कहने लगी।

पर जब मैंने उसे रुकने के लिए ज़ोर दिया तो वह मान गयी और अपनी पी.जी. वाली आंटी को फ़ोन करके उसने बहाना मार दिया।

खाना खा कर हम लोग उलटे लेटकर बात कर रहे थे। बात करते-करते मैं कभी उसके कंधे पर मार देता तो कभी पीठ सहला देता, इसी तरह वह भी मुझे बीच-बीच में मार देती।

फिर मैंने बात करते-करते एक टांग उसकी टांगों पर रख दी और गांड पर हाथ फेरने लगा वह कुछ नही बोली, बस मुझे देख कर उसने अपना सिर तकिये पर रख लिया, अब मुझे लगा कि उसे भी कुछ होने लगा था क्यूँकि वह गहरी-गहरी साँसे ले रही थी।

मैंने उसका चेहरा पकड़ कर उसे चूम लिया और शायद वह भी बहुत गरम हो चुकी थी इसीलिए मेरे चूमते ही वह भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी।

मैंने उसे पकड़ कर अपने ऊपर ले लिया और उसको चूमते-चूमते उसकी गांड दबाने लगा।

मेरा लंड खड़ा होने के कारण उसकी चूत के आसपास चुभ रहा था। वह मेरे ऊपर लेटे हुए मुझे देखने लगी और मैं उसके चूचों को देखने लगा, वह समझ गयी मैं अब क्या चाहता हूँ।

फिर वह मेरे ऊपर से उठी और मैंने अपने और उसके कपडे निकाल दिए। अब मैं बस अपनी चड्डी में और वह अपनी पैंटी में थी।

मैंने अब उसे अपने नीचे ले लिया और उसके मम्मे मसलना चालू कर दिया। वह जोर-जोर से आअह्ह्ह.. म्म्म्म.. धीरे करो बेबी, करके सिसकारियाँ लेने लगी। मैं उसके मम्मो को मसल-मसल के दबा-दबा के चूस रहा था और निपल काट रहा था।

वह और जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी और अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ाने लगी। प्लीज, तरुण धीरे दर्द हो रहा है पर मैं उसकी एक नहीं सुन रहा था।

अब मैं उसके पूरे जिस्म को बेतहाशा चूमे और चाटे जा रहा था। फिर मैं धीरे-धीरे उसकी नाभि के पास आया और उसकी पैंटी उतार दी जो कि बिलकुल गीली हो चुकी थी।

मैंने अब अपनी चड्डी भी उतार दी। मेरा लौड़ा गरम सलाख़ की तरह खड़ा था।

मैं उसके चुचों को चूसे जा रहा था और वह म्म्म्म्म.. म्म्म्म.. आआ.. आआईईईई.. करे जा रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।

पहले तो उसने अपना हाथ हटा दिया, फिर मैंने उसके कान में बोला – जानू, यह लौड़ा तुम्हारे लिए ही है, सहलाओ इसे प्यार से, तो वह मान गयी और लंड को पकड़ के ऊपर नीचे हिलाने लगी।

करीब दस मिनट के बाद मैंने उससे बोला कि मुझे अब तुम्हारे बूबे चोदना है तो वह बोली – यह कैसे होता है?

मैंने उसे बताया कि दोनों चूचियों के बीच में लंड को आगे-पीछे करना है और उसे चूची चुदाई सिखाई।

चूची चुदाई के दौरान मैं उसकी चूत में उंगली अंदर-बाहर कर रहा था। जब मैंने उसकी चूत पर चूमा तो एक अलग ही खुशबू आ रही थी।

उसकी चूत के दोनों लिप्स को मैंने अच्छे से चूमा जिससे वह उत्तेजना में उछल पड़ी और म्म्म्म.. तरुण क्या कर रहे हो? आज तुम मुझे मार डालोगे क्या? आआआअह्ह्ह्हह्ह्म्म्म्म्माआआआआ.. मैं मर गई बोलने लगी। लेकिन मैं उसकी चूत को चाटे ही जा रहा था।

वह बोली तरुण अब अंदर डाल दो, अब नहीं रहा जा रहा।

मैं उसके ऊपर आया और उसे चूमते हुए उसकी चूत के लिप्स को ऊपर-नीचे रगड़ने लगा। ऐसा मैंने करीब पांच मिनट किया और वह इतना गरम हो चुकी थी कि जब-जब मैं लंड को उसकी चूत में रगड़ था तो वह अपनी गांड को उठा के लंड अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।

फिर एक दम से मैंने उसकी चूत में लौड़ा पेल दिया, जिससे उसकी चीख़ निकल गयी आँखों में आँसू आ गए मैंने उससे करीब दो घंटे तक चोदा पूरे कमरे में फच-फच की आवाजें गूँज रही थीं और कभी मैं उसके ऊपर कभी वह मेरे ऊपर।

आखिरकार, वह बोली – मैं अब और नहीं कर सकती मैं झड़ने वाली हूँ उसके झड़ने के बाद मैं भी दस मिनट में झड़ गया। मैं उसके ऊपर लेटा रहा थोड़ी देर तब तक मेरा लंड उसकी चूत के अंदर ही था।

थोड़ी देर बाद हम टॉयलेट में गए और एक-दुसरे को साफ़ किया और हम दोनों फिर से गरम हो गए उस रात मैंने उससे पांच बार चोदा, सुबह उसकी चूत फूल के मोटी हो गयी थी और मेरी भी हालत थोड़ी पतली थी।

पूजा की चूत का उद्घाटन

पूजा की चूत का उद्घाटन

हाय दोस्तो,

मेरा नाम अजय है और मैं सताईस साल का हूँ, यह मेरी पहली कहानी है।

यह कहानी मेरी और मेरी प्रेमिका पूजा की है। मैं पूजा नाम की लड़की से दो साल पहले एक समारोह में मिला था और धीरे-धीरे हमारी जान-पहचान प्यार में बदल गयी।

मैं पूजा से बहुत प्यार करता था। मैं और पूजा हमेशा दिन-रात फोन पर बातें करने लगे और एक दिन मैंने उसको प्रपोस किया और उसने स्वीकार कर लिया।

पूजा की उम्र तेईस साल है और वो बहुत गोरी है। वो बहुत खूबसूरत है और उसका फिगर 32-26-32 है, हिरनी के जैसी आँखें हैं और होंठ लाल-लाल हैं।

मैं और पूजा दोनों अलग-अलग शहर में रहते हैं।

धीरे-धीरे हमारी बातचीत दिन ब दिन बढ़ने लगी, हम रात-रात भर बात करते रहते थे, धीरे-धीरे हम और करीब होते गए। वो मुझसे अपनी हर बात करती थी।

एक बार उसने मुझे मिलने अपने घर बुलाया। मैं उसके घर गया देखा तो उसके घर मे कोई नहीं था, उसने बताया सब बाहर गए हैं, शाम तक आएँगे।

पूजा चाय-नाश्ता ले आई, हमने साथ मे नाश्ता किया।

मैंने पूजा से कहा – मैं तुम्हारे होठों और नाभी पर चूमना चाहता हूँ, तो वो मना करने लगी। मेरे बार-बार ज़ोर देने पर वो मान गयी पर बोली – इसके आगे नहीं बढ़ेंगे तो मैंने बोला – ठीक है।

वो बोली – मुझे भी तुम्हें गले लगाना है। उसने मुझे गले लगाया फिर मैंने उसका टॉप कमर तक उठा कर उसकी नाभी पर चूमा तो उसने आँखें बंद कर ली।

उसकी नाभी एकदम गोल थी और बहुत सुंदर थी, उसके बाद मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू किया तो बहुत मजा आया। मैं उसके होंठों को दस मिनट तक चूमता रहा।

अब मैं गरम होने लगा था और मेरा लंड भी खड़ा हो गया था जिसे पूजा ने महसूस कर लिया था। फिर वो मुझसे अलग हो गयी।

दो घंटे साथ रहने के बाद मैं उसके घर से चला आया।

एक बार मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया और मैं भी आधे रास्ते तक आया। हम लोगों ने उस दिन ड्राइविंग का मजा लिया। बीच-बीच में मैं ब्रेक मार कर पूजा को और चिपकने के लिए कहता था जिससे उसके चुचे मेरी कमर पर रगड़ खा रहे थे।

धीरे-धीरे हम फोन सेक्स करने लगे।

कुछ दिनों के बाद मेरा जन्मदिन आनेवाला था। मैंने पूजा से कहा कि इस जन्मदिन पर मुझे क्या उपहार दोगी? उसने कहा – इस जन्मदिन ऐसा उपहार दूँगी कि हमेशा याद रखोगे।

मैं अपने जन्मदिन के आने का इंतेज़ार कर रहा था कि क्या उपहार मिलेगा मुझे। मेरी जन्मदिन की रात सबसे पहले मुझे पूजा ने शुभकामनाएँ दी।

मैं बहुत खुश हुआ पर दूसरे दिन अफ़सोस हुआ कि जन्मदिन के दिन वो मुझसे मिलने नहीं आ सकी और एक दिन बाद आई। उसने नीले रंग का जींस और नीले रंग का टॉप पहना था और बहुत मस्त लग रही थी।

पूजा ने पहले ही कह दिया था कि एक रूम का इंतज़ाम रखना। मैंने एक रिज़ॉर्ट में रूम ले लिया। मैं और पूजा रूम में गए और फिर पूजा से कहा – अब मेरा जन्मदिन उपहार दो तो वो मेरे पास आई और मुझे सबसे पहले गले लगा लिया और फिर मेरे होंठों को चूमने लगी।

मैं भी उसका साथ देने लगा, हम दस मिनट तक एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे और फिर मैंने अपना हाथ पूजा के चुचों पर रखा और उन्हें दबाने लगा।

पूजा आआआ.. आआआ.. करने लगी।

अब मैंने पूजा का टॉप निकाल दिया, पूजा काले रंग की ब्रा पहनी थी। ब्रा में क़ैद उसके बूब्स को देख कर मैं पागाल हो गया और मेरा लंड भी लोहे की सलाख की तरह खड़ा हो गया जिसे पूजा ने पैंट के उपर से पकड़ लिया और दबाने लगी।

फिर मैंने पूजा की जीन्स निकल दी और पूजा ने मेरी पैंट निकल दी। अब मैं सिर्फ़ चड्डी में था और पूजा ब्रा और काली रंग की पैंटी पहनी थी, जो गीली हो चुकी थी।

मैंने पूजा की ब्रा खोल दी और उसके बड़े-बड़े और नरम मम्मे देख कर पागाल हो गया और दायें चुचे के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और बाएं चुचे को दबाने लगा ।

पूजा आआआ.. कर रही थी और मेरा आठ इंच का लंड चड्डी के उपर से दबा रही थी।

उसके बाद उसने मेरी चड्डी निकल दी और मेरा लंड देख कर डर गयी बोली – इतना बड़ा लंड तो मेरी चूत फाड़ देगा तो मैंने कहा – जान, शुरू में दर्द होगा बाद में खूब मजा आएगा।

मैंने पूजा को लंड चूसने को कहा तो वो मना करने लगी पर मेरे बार-बार कहने पर वो लंड चूसने को तैयार हो गयी। वो जब मेरा लंड चूस रही थी तो मैं जन्नत की सैर करने लगा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था लंड चुसवाने में।

दस मिनट लंड चुसवाने के बाद मैंने पूजा को बोला – मेरा निकालने वाला है तो उसने मुँह से लंड निकाल दिया और मैंने सारा वीर्य पूजा के बूब्स पर गिरा दिया।

फिर मैं और पूजा साथ में जाकर नहाने लगे, नहाते-नहाते मैं पूजा के बूब्स दबा रहा था और पूजा मेरा लंड पकड़ कर उपर-नीचे करने लगी जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया और पूजा उसे चूसने लगी।

अब मैं पूजा को लेकर बिस्तर पर गया और उसे लिटा दिया उसके बाद उसकी चूत पर चूमने लगा। एकदम साफ चूत थी।

चूमते-चूमते मैं चूत को चूसने लगा पूजा आआआआः आआआः की सिसकारियाँ भरने लगी और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी और कहने लगी – जानू, जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, प्लीज़ जानू अब सहन नहीं होता, जल्दी डाल दो।

मैंने अपने लंड का सूपड़ा पूजा की चूत के होठों के बीच रखा और ज़ोर का धक्का मारा जिससे मेरा आधा लंड पूजा की चूत में घुस गया आआआः करके पूजा की चीख निकल गयी।

उसकी आँखों से आँसू निकल गए और बोलने लगी – प्लीज़ जानू, निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।

मैं वैसे ही रुक गया और उसके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। पूजा के स्तन बहुत नरम थे और मुझे दबाने में बहुत मजा आ रहा था। अब पूजा को भी मजा आने लगा और वो मस्ती में आने लगी।

फिर मैं उसके होंठों को लेकर चूसने लगा और ज़ोर-ज़ोर से तीन-चार धक्के मारे जिससे मेरा पूरा लंड पूजा की चूत मे घुस गया।

पूजा की चूत बहुत कसी हुई थी जिससे मेरा लंड भी छिल गया था और जलन भी हो रही थी।

फिर भी मैं चोदे जा रहा था पूजा चिल्ला रही थी और कहने लगी – प्लीज़ जानू निकाल लो, मैं बिस्तर में थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा मैंने देखा चादर पर खून गिरा था।

पूजा की झिल्ली टूट चुकी थी। खून देख कर वो डर गयी।

मैंने कहा – जानेमन, जब पहली बार कोई लड़की सेक्स करती है तो खून निकलता है। थोड़ी देर में दर्द कम हो गया तो पूजा भी गांड उठा-उठा कर साथ देने लगी और कहने लगी – और ज़ोर से जानू, यही तुम्हारा जन्मदिन उपहार है, और ज़ोर से .चोदो जानू, फाड़ दो मेरी चूत को।

मैं भी जोश में आ गया और ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा। दो बार झड़ने के कारण पूजा की चूत गीली हो चुकी थी जिससे लंड अब आराम से आ-जा रहा था।

मेरे हर धक्के पर पूजा के मुँह से आहा.. आहा.. निकल रहा था। बीस मिनट की चुदाई में पूजा तीन बार झड़ गयी और मैं भी झड़ने वाला था तो पूजा बोली – जानू – अंदर ही गिरा दो, मैं दवाई ले लूँगी।

मैंने अपने गरम-गरम वीर्य से उसकी चूत भर दी और पूजा के साथ चिपक कर उसके उपर नंगा ही सो गया।

एक घंटे बाद जब नींद खुली तो पूजा बोली – जानू, कैसा लगा आपको आपका जन्मदिन उपहार? मैंने कहा – यह जन्मदिन उपहार हमेशा मुझे याद रहेगा और इतना शानदार उपहार कभी मुझे नहीं मिला।

मेरा यह जन्मदिन यादगार रहेगा।

मैं अब भी पूजा से बहुत प्यार करता हूँ, अब तक मैं छह-सात बार पूजा को रूम में ले जाकर चोद चुका हूँ।

अब मेरी शादी हो चुकी है पर पूजा के साथ बिताए हुए पल कभी नहीं भूल सकता हूँ।

आई लव यू पूजा।

भाई की शादी में भाभी की बहन की चूत फाड़ी

भाई की शादी में भाभी की बहन की चूत फाड़ी

मेरा नाम गणेश है और मैं अपने भाई की शादी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमे मैंने अपनी भाभी की बहन की चूत फाड़ी।

मैं परली का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र बाईस साल है। मेरी लंबाई सात फुट है और मेरा लंड सात इंच का है।

ये कहानी दो साल पहले की है जब भाई की शादी थी। भाई की शादी कल थी, तो मैं भाई के साथ हल्दी वाले दिन गया।

कुछ देर बैठने के बाद एक आइटम दिखा, उसके आगे-पीछे घुमने के बाद पता चला कि वो दुल्हन की छोटी बहन है।

वो औँरगाबाद के होस्टल में रहती है। कुछ देर प्रयास करने के बाद उसकी और मेरी जमने लगी। उसका नाम प्रिया है।

वो भी मुझमें रूचि लेने लगी। रात आठ बजे जब मेहंदी की रस्म शुरु हुई तो सब दुल्हे के साथ मज़ाक में मुझे भी मेहंदी लगाने लगे।

अचानक मज़ाक में प्रिया मेरे बदन से चिपकी तो मेरे बदन में करंट सा लगा और मेरे अंदर की कामवासना जागी।

मैं प्रिया को वासना से देख रहा था। प्रिया भी मुझे लाईन दे रही थी।

मन ही मन हम दोनों खुश थे, अब रात के ग्यारह बजे थे।

मैंने उसे हल्का सा इशारा किया कि वो मेरे पीछे आई और उसके रुम में ले गयी और कहा कि क्या बात है?

मैंने कहा – कहूँ?

क्या? – उसने कहा – कहो ना।

मैंने कहा कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है तो वो मेरे गले लग गयी, मेरा हौसला बङा और मैंने उसे आई लव यू कहा तो उसने भी मी टू, कहा।

उसी वक्त मैंने उसे चूम लिया हम एक-दूसरे में समा रहे थे और उसने हट कर कहा कि बाकी बाद मैं और वहाँ से भाग गयी।

मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और सोने चला गया। रात भर मैं उसके ही बारे मैं सोच रहा था, कब सुबह हुई पता नहीं चला।

मैं दोस्तो के साथ बातें कर रहा था तब ही पीछे से किसी ने मुझे धक्का दिया। देखा तो प्रिया थी।

उसके जाने के बाद दोस्तो ने पूछा – यार, कौन है रे यह जन्नत? मैंने कहा कि कल ही पटाया है।

शादी हुई और दुल्हन के साथ मायके से कोई आता है तो भाभी के साथ प्रिया आने वाली है पता चलते ही मैं फूला ना समाया।

शादी के दो-तीन बाद दुल्हन मायके जाती है तब उसके साथ आने वाले को नये कपड़े लाने पङते हैं।

भाई को कुछ काम था तो उन्होने मुझे दो हजार रुपये दिए और कहा – तुम और प्रिया जाकर कपड़े ले आना, मैंने अपनी बाईक निकाली और जाकर कपड़े खरीद लिये।

आते समय हमने पानी-पूरी खाई और मैंने कहा – बाकी का?

उसने कहा – क्या?

मैंने कहा – शादी के अगले दिन वाला।

उसने कहा – मैं तेरी ही हूँ राजा।

मैंने एक अपने दोस्त को फोन करके उसके फ्लैट की चाबी ली।

हम उसके घर गये और कुछ देर बातें करते फिर मैंने उसे पकङा और चूमने लगा।

मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और उसको ऊपर से मसलने लगा।

वो शरमा रही थी। उसके मम्मे बहुत कसे हूऐ थे, उनकी साईज 36-32-36 की होगी। मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोला और कुर्ता भी निकाला दिया।

उसने भी मेरे कपड़े निकाले।

अब मैं अपने भाई की शादी की में भाभी की बहन की चूत फाड़ने वाला था।

उसके बाद हमने दस मिनट चुमा-चाटी की और हम 69 की अवस्था में थे। उसकी गुलाबी चूत पर एक भी बाल नहीं था।

उसने लगता था ब्लु फिल्में देख रखीं थीं इसलिए बहुत ज़ोर से चाट रही थी। मुझे भी मजा आ रहा था और उसको भी।

मेरा होने वाला था तब तक वो भी झड़ चुकी थी। मैं उसका सारा रस पी गया। मैं भी उसके चुचों पर झड़ गया।

अब मैंने अपने लंड को चूत पर रखा और हल्का झटका दिया पर घुस नहीं रहा था फिर मैंने जोर का झटका दिया और मेरा सात इंच का लंड आधा घुस गया।

उसकी झिल्ली फट गयी और खून बहने लगा। वो चिल्लाने लगी – निकालो, दर्द हो रहा है। मैंने उसको चूमा और एक हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा।

वो थोङी शांत हुई कि मैंने जोरदार झटका लगाया और वो और ज़ोर से चिल्ला उठी। मैं दोनों हाथों से उसके चुचे दबाने लगा और चूमने लगा। थोङी देर बाद उसको भी मजा आने लगा।

मैंने धक्के लगाना चालू किया तो वो भी मेरा साथ चूतड़ उठा-उठा कर देने लगी उसके मुँह से कामुक आवाज़ें आ रहीं थीं – अअआआउउहाहाममममाअअ..

पच्चीस मिनट में वो दो बार झड़ चुकी थी, मेरा भी निकलने वाला था।

मैंने कहा – अंदर या बाहर?

उसने कहा – बाहर, मुझे पीना है।

मैंने बाहर निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। दो-तीन झटकों में मैं झड़ गया।

उस दिन हमने तीन-चार बार चुदाई की और फ्रेश होकर कपड़े पहने और घर आ गये।

अगले दिन प्रिया और भाभी जा रही थीं, तब उसने मुझे एक चीज़ दी। क्या?


मिस्ड कॉल से मिली चूत

मिस्ड कॉल से मिली चूत

दोस्तो, मेरा नाम रौनक शर्मा है।

मेरी उम्र 25 साल, रंग गोरा, कद सामान्य है और मैं पंजाब में रहता हूँ।

यह मेरी पहली सेक्स कहानी है जो आज आप लोगों को बताने जा रहा हूँ, यह पूर्णत्या सत्य है।

मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है।

तो अब सीधे कहानी पर आते हैं।

एक दिन अचानक मेरे मोबाईल पर मिस कॉल आया जब मैंने कॉल किया तो एक लड़की कि सुरीली आवाज आयी।

मैंने पूछा – मिस कॉल आया था तो वो बोली – सॉरी जी, राँग नंबर लग गया था।

मुझे उसकी आवाज बहुत पसंद आई और मैंने दुबारा फोन मिला दिया और बोला – मुझे आपकी आवाज बहुत पसंद आई है इसलिऐ अपने आप को रोक ना सका।

वो हँस पड़ी।

फिर मैँने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम रानी बताया।

फिर हमने थोड़ी देर इधर-उधर की बात कि और दुबारा फिर बात करेँगे बोल के फोन काट दिये।

अब हमारी बात रोज होने लगी।

एक दिन मैँने बातों-बातों मेँ रानी को आई लव यु बोल दिया।

वो थोड़ी देर चुप रही।

फिर बोली – सोच के बताउंगी।

मैँ उसके सपनों में खोया था तभी फोन बज उठा, फोन रानी का था।

वो बोली कि मुझसे कब मिलोगे।

मैं तो हैरान रह गया कि मेरे मन की मुराद रानी ने पूरी कर दी।

फोन पर ही वो बोली – कल शाम को मेरे घर में आ जाओ।

मैंने पूछा कि घर पर कौन-कौन है तो वो बोली मैं घर मे अकेले ही रहती हूँ और पार्लर चलाती हूँ,

मम्मी-पापा अंबाला रहते है।

उस दिन मैं पूरी रात रानी को सपनो में चोदता रहा।

शाम हुई तो मैँ तैयार होकर निकल चला।

बताई हुये जगह पर आकर मैँने फोन किया तो रानी मेरे पास बात करते हुये आई।

वो एक सुंदर परी जैसी दिख रही थी।

मुझे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतनी सुंदर परी मुझसे चुदने वाली है।

उसने लाल रंग का कुर्ता और टाइट पाजामी पहन रखी थी।

जिसमें उसकी मोटी-मोटी जांगें बिजलियाँ गिरा रहीं थीं।

उसकी 36 की चूची 30 की कमर और गांड़ तो ऐसी थी कि किसी को भी दिवाना बना ले।

कुल मिलाकर क्या लग रही थी वो।

मेरे लंड महाराज तो अब बेकाबू हो रहे थे।

हम एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे तभी रानी बोली – जानू, आप तो काफी स्मार्ट हो।

मैं भी बोला – तुम्हारे सामने मैं कुछ भी नही हूँ।

वो हँस के रह गई बातों-बातों में रानी का घर आ गया।

उसने मुझे हॉल के सोफे पर बैठने को बोला और पूछा- क्या लोगे ठंडा या काफी?

मैंने कहा- ठंडा चलेगा।

तभी रानी बोली – जानू, आप कमरे में जाओ, मैं ठंडा लेकर आती हूँ।

और वो कमरे में ठंडा लेकर आ गई और वहीं बैठ कर मुझसे बातें करने लगी।

फिर हम बेड पर आ गए, वो मेरे पास आकर बैठ गई।

उसका शरीर थोड़ा कांप रहा था और मेरा भी।

लेकिन मुझ से रहा नहीं जा रहा था।

फिर भी मैं चुप रहा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसके हाथ के पास रखा और धीरे-धीरे उससे सटकर बैठ गया।

फिर मैंने अपना हाथ उसकी पीठ से ले जाते हुए उसकी नरम जांघों पर रख दिया।

उसकी धड़कन तेज़ हो रही थी।

उसकी सांसें मेरे करीब से गुजर रही थी, वो मदहोश हो रही थी।

मेरा हाथ उसकी जांघों पर धीरे-धीरे घूम रहा था।

शायद रानी ने मर्द का तना हुआ लंड पहली बार देखा था तो वो उसे गौर से देखने लगी।

उसने मेरे हाथ को जोर से पकड़ कर दबाया।

मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और उसकी चूत को एक हाथ से सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उसका स्तन पकड़ लिया।

वो सिसकारियाँ ले रही थी और मेरे लंड पर दबाव डाल रही थी।

हम कपड़े पहने थे।

इसलिए हमारे बदन की गर्मी बढ़ने लगी, दोनों पसीने-पसीने हो गए।

मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।

मेरा लंड उसकी गांड पर घिस रहा था और उसके चूची को हाथों से मसल रहा था, उसकी चूत रगड़ कर मैं उसे और उत्तेजित कर रहा था।

रानी बोली – मैं बेचैन हो रही हूँ।

फिर मैंने उसे गले लगाया।

वो भी ऐसे लिपट गई जैसे वो मेरे शरीर का हिस्सा हो।

मैंने उसके होंठों को चूमा और गालो को रगड़-रगड़ कर घायल कर दिया।

फिर मैंने उसकी टॉप उतारी, ब्रा भी उतारी और उसके सफेद बड़े से चुचे देखकर मैं पागल हो गया जिन पर गुलाबी रंग के चुचूक उनकी शोभा बढ़ा रहे थे।

फिर मैंने अपना शर्ट पैंट उतारा, उसने अपनी पाजामी निकाली।

हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे तो मैंने कहा – इसे क्यूँ रखे हो?

मैंने उसकी और उसने मेरी चड्डी उतारी।

मैंने उसके अपने लंड पर किस करने को कहा, फिर उसे सीधा लेटने को कहा।

फिर उसके सारे बदन को चूसना चालू कर दिया, उसके पेट को भी चूमता रहा।

वो पूरी गर्म हो चुकी थी, मेरे लंड को घूर रही थी और मैं उसकी चूत को देखकर पगला रहा था।

तभी मैंने अपना लंड उसके मुँह में घुसा दिया।

वो उसे चूसने लगी तो मैं भी उसकी चूत में उंगली डाल कर चूसता रहा।

बाद में मैंने समय न गंवाते हुए उसकी टाँगें ऊपर उठा कर लंड चूत पर रख कर एक झटका मारा।

खाली सुपारा अंदर गया तो वो चीखने लगी।

उसकी चूत अभी छोटी थी पर मुझसे रहा नहीं गया।

मैंने बिना परवाह किये पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।

वो बहुत जोर से चीखी तो मैंने उसके होठों पर होंठ रख दिए, उसकी आँखों से पानी बह रहा था और वो मुझसे छुटने की नाकाम कोशिश करती रही।

मैंने उसके चूचे सहलाए।

थोड़ी देर बाद वो कमर मटकाने लगी तो मैंने उसका मुँह छोड़ा और पुरा लंड अंदर-बाहर करने लगा और उसे भी मजे आने लगे।

दो मिनट बाद मैं उसे दनादन चोदने लगा और वो मुँह से आह! अहा! आ ! आअ ! अआया ! कर रही थी।

बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं छुटने वाला था।

वो भी मुझे कसकर पकड़ने लगी और बोलने लगी – फक मी फक मी और जोर से।

कमरे में फच-फच की आवाज आ रही थी।

हम दोनों झड़ने लगे।

मैंने सारा माल चूत मे गिरा दिया और निढाल होकर कुछ देर उसी अवस्था में पड़ा रहा।

फिर हमने अपने कपड़े पहने।

और दूसरे दिन मिलने को कहकर उसे चुम्बन किया।

यह मेरी पहली चुदाई थी।

आपको मेरी कहानी कैसे लगी, मुझे बताएँ।

मुझे आपके मेल के इन्तजार रहेगा।

मेरा घोड़ा दौड़ा चाची की चूत में


  1. मेरा घोड़ा दौड़ा चाची की चूत में


मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ, और आज मैं आपको अपनी एक स्टोरी सुनना चाहता हूँ,

मेरा नाम दीपक है और मैं देहरादून से 30 किलोमीटर दूर एक गाँव में रहता हूँ।

मैं 20 साल का हूँ, लंबाई 6 फीट, रंग गोरा और थोड़ा पतला हूँ।

बात पिछले साल की है, जब मैं ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष में था। मैं घर से कॉलेज उप-डाउन करता था।

मेरे चाचा-चाची सिटी में रहते हैं और मैं अक्सर उनके घर चले जाया करता था। उनके दो बच्चे थे, रिया नौ वर्ष और हर्ष सात का।

हाँ, मैं आपको अपनी चाची के बारे मे बताता हूँ, वो लगभग 28 साल की है, गोरे रंग के साथ ही शानदार चुचियों और भारी चूतड़ों की मालकिन हैं।

वो कद में थोड़ी छोटी हैं, लगभग 5’1” की।

तो अब असल कहानी पर आते हैं, पहले चाची भी हमारे साथ गाँव में ही रहती थीं और मैं बचपन से ही उन्हें नंगी देखना चाहता था, लेकिन मेरी इच्छा कभी पूरी नहीं हुई।

पिछले साल मार्च में मैं कॉलेज गया, और वहाँ से चाचाजी के घर चला गया।

मेरे चाचा की अपनी दुकान थी और वो हर गुरुवार दिल्ली माल लेने जाते थे। आज भी वो माल लेने दिल्ली गए हुए थे।

एक बात मैं आपको बताना चाहता हूँ, मेरे चाचा-चाची बहुत सेक्स करते थे। उनका एक ही रूम था और जब भी मैं किसी काम से वहाँ रुकता था तो चाचा और चाची नीचे सोते थे और रात को चुदाई करते थे।

मैं चाची की सिसकारियाँ सुनता रहता था, जिससे मेरा भी मन चाची को चोदने का होता था। आज जब मैं चाची के घर पहुँचा तो 2 बज रहे थे।

मैंने चाची को प्रणाम किया, फिर चाची ने घर के हालचाल पूछे।

दरअसल मेरी चाची चालू किस्म की है इसलिए मुझे वो पसंद नहीं थीं, मेरी बस उनके शरीर में दिलचस्पी थी।

थोड़ा इधर-उधर की बातें करने के बाद चाची काम करने लगीं और मैं पीछे से उनकी मैक्सी में बनी पैंटी की शेप को देखने लगा, साथ ही मेरा लण्ड भी उत्तेजित होने लगा।

लेकिन थोड़ी ही देर में बच्चे स्कूल से आ गए और बहुत खुश हुए।

उन्होंने मुझसे वहीं रुकने की ज़िद की, तो चाची ने भी कहा कि आज तुम्हारे चाचा भी नहीं है, आज तुम यहीं रुक जाओ।

मैंने कहा – ठीक है और घर पर फ़ोन कर दिया कि मैं आज यही रुकुंगा।

मैं बच्चों के साथ खेलने लगा।

तभी बच्चों ने कहा कि भैया आज मूवी देखेंगे, तो भाई और मैं चाची से पूछकर मूवी लेने चले गए।

फिर हमने सात बजे ही डिन्नर कर लिया और हम मूवी देखने लगे – 3 ईडियट्स।

नौ बजे मूवी ख़त्म हो गई और बच्चे सो गए। चाची और मैं थोड़ी बातें करने लगे। फिर थोड़ी देर बाद चाची ने कहा – अब नींद आ रही है, तो फिर हम लाइट ऑफ कर के सो गए।

दोनों बच्चे साइड में थे तो मैं उनके एक और सो गया और चाची मेरे बगल में सो गईं।

अब तक मेरी कभी कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई थीं।

नाइट बल्ब की रोशनी में चाची पेट के बल लेटी हुई थीं और उनके चूतड़ देखने में मुझे मज़ा आ रहा था।

मैंने नींद का बहाना करते हुए अपना एक पैर उनके चूतड़ पर रख दिया।

वो अचानक से उठीं। मेरी और देखा लेकिन मैं सोने का नाटक करता रहा, चाची ने मेरा पैर चूतड़ पर से हटाया और सीधी लेट गईं।

मैं डर गया था और मैं साँस रोक कर लेटा रहा। थोड़ी देर बाद मैंने फिर हिम्मत करके अपना एक हाथ चाची के पेट पर रख दिया। कोई हलचल नहीं हुई।

कुछ देर तक हाथ रखने के बाद मैंने आगे बढ़ने का सोचा और घुटना मोड़कर चाची की जाँघ पर रख दिया और सोने का नाटक करता रहा।

चाची का कोई रेस्पॉन्स नहीं था, मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई।

अब मैंने चाची की जाँघ को अपने घुटने से रगड़ना शुरू किया। चाची सोई हुई थीं यह निश्चित करने क लिए मैंने चाची की जाँघ दबाई तो चाची ने एक गहरी साँस ली।

अब तक मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थीं, मैं बैठ गया।

मैंने चाची की मैक्सी हल्के से उठाकर जाँघो तक कर दी। मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन डर से गाण्ड भी फट रही थीं।

अब मैंने चाची क चेहरे की और देखा, वो सो रहीं थीं।

मैंने अपनी पेंट उतारी और फिर धीरे से लेट गया। मेरा 6 इंच का लण्ड खड़ा हो चुका था।

अब चाची ने करवट ली और मेरी और चूतड़ कर लिए। मैंने मौका पाकर मैक्सी थोड़ी और ऊपर कर दी।

अब मुझे चाची की पैंटी के दर्शन हुए, मैंने लण्ड निकाला और चाची की गाण्ड के पास ले गया।

मैं अपने लण्ड को चाची के चूतड़ से टच करना चाहता था। लेकिन तभी चाची पेट के बल लेट गई।

मैं डर गया और सीधा लेट गया। थोड़ी देर तक कोई हलचल नहीं हुई। मैंने देखा अब मेरे पास मैक्सी ऊपर करने का अच्छा मौका था।

मैंने धीरे से मैक्सी ऊपर की, उफ़ क्या बताऊँ दोस्तो, मैं नाइट बल्ब की रोशनी में चाची के बड़े-बड़े चूतड़ देख कर पागल हो रहा था।

बहुत धीरे से मैंने चाची की चूतड़ों पर अपनी जीभ लगाई और चाटने लगा।

ना जाने क्यूँ मुझे लगा कि चाची जाग रहीं है और नाटक कर रहीं है।

फिर मैंने हिम्मत करके हल्के से उनके चूतड़ों पर कटा तो चाची की सिसकारी निकल गई, लेकिन चाची सोई रहीं,

मैं बहुत खुश हो गया।

अब मैंने धीरे से चाची की पैंटी नीचे कर दी और चाची ने भी हल्के से गाण्ड उठाकर मेरा साथ दिया। बिल्कुल ऐसे की मुझे पता ना चले।

अब तक मैं जान चुका था कि चाची नाटक कर रहीं थीं।

मैंने पूरी पैंटी नीचे उतार दी। चाची अब सीधी हो गईं।

मैंने उनकी मैक्सी को पूरा ऊपर उठाया और उनकी मस्त गोल-गोल चुचियों को हाथ में ले लिया और मसलने लगा।

मुझे लग रह था की बस उनकी चुचियों को खा जाऊँ।

फिर मैं उन्हें मुँह मे लेकर चूसने लगा।

दोस्तो, मैं हैरान भी था की चाची भी मज़े से धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रहीं थीं, लेकिन सोने का नाटक भी कर रहीं थीं।

अब बाजी मेरे हाथ में थीं मैं पूरे उपरी शरीर को बेतहाशा चाटते हुए उनकी चूत तक पहुँचा, जहा घनी और काली झांटे थीं।

मैंने जीभ से उनके बीच छुपी चूत को मुँह में ले लिया और चाटने लगा, चाची मज़े ले रहीं थीं।

मैं तो जन्नत में था। चाची की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी।

अब मेरे लिए सब्र करना मुश्किल था। मैंने अपना लण्ड चाची की चूत पर रखा और रगड़ने लगा।

ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपना लण्ड किसी गर्म चूल्हे पर रगड़ रहा हूँ।

मैंने चाची की टाँगें फैलाई और लण्ड को चूत के छेद पर रखा, हल्का सा धक्का दिया और लण्ड रास्ता बनता हुआ अंदर जाने लगा।

चाची ने फिर सिसकारी ली और हाथों से चादर टाइट पकड़ ली।

दोस्तो, उस पल ऐसा लगा जैसे अपना लण्ड मैंने किसी गर्म भट्टी में डाल दिया है।

इतना मज़ा आया कि मैं उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था।

मैंने एक और धक्का लगाया और लण्ड चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ जड़ तक उतर गया।

अब मैं चाची क ऊपर झुक गया, चाची ने अपने चेहर पर चादर डाल ली थीं और वो हल्के-हल्के सिसकारी ले रहीं थीं।

मैंने बच्चों की और देखा, दोनों सो रहे थे।

अब मैंने लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू किया और मेरा लण्ड चाची के चूत के रस मे गोते लगाने लगा।

धीरे-धीरे मेरी स्पीड बढ़ने लगी, और चाची की सिसकारियाँ भी।

अब मैंने चाची की टाँगों को ऊपर उठाया और धक्के लगाने लगा।

मेरा घोड़ा चाची की चूत में तेज़ी से दौड़ रहा था।

चाची के चूतड़ भी मेरे धक्कों से ताल मिला रहे थे, लगभग दस मिनट तक चोदने के बाद चाची ने अपने पैरों से मुझे दबा लिया और तेज़ी से चूतड़ उछालने लगी।

मैंने भी धक्कों की स्पीड बड़ा दी और चाची के साथ ही उछलने लगा, चाची ने अब मुझे कसकर दबा लिया और मैंने अपना वीर्य चाची की चूत में ही डाल दिया।

चूत के रस से मेरी जांघें तर हो चुकीं थीं और मैं चाची के ऊपर ही लेट गया।

चाची की चुचियाँ ऊपर-नीचे हो रहीं थीं।

मैंने सोचा कि जब तक चाची नहीं हटाएगी, मैं चाची के ऊपर से नहीं हटूँगा।

इससे चाची को मेरे सामने उठना पड़ता और उनकी पोल खुल जाती।

कुछ देर लेटे रहने के बाद चाची ने बड़ी चालाकी से एक करवट ली और मुझे अपने ऊपर से उतार दिया।

मेरा लण्ड फ्ट की आवाज़ के साथ उनकी चूत से बाहर निकल गया और वो वैसे ही लेट गईं।

मैं भी बहुत थक गया था और मुझे नींद आ गई।

सुबह जब मेरी नींद खुली तो 9 बज चुके थे और बच्चे स्कूल जा चुके थे।

मैं फ्रेश होकर आया तो देखा की चाची नाश्ता लगा रहीं थीं, मुझे रात की बातें याद आई तो मैं चाची से आँखें नहीं मिला पा रहा था।

लेकिन चाची बिल्कुल नॉर्मल थीं।

वो बोलीं – कल रात मुझे ठीक से नींद नहीं आई और कमर में भी दर्द हो रहा है, तुम थोड़ी मालिश कर दो।

मैं समझ गया कि अब क्या करना है…

दोस्तो, अब अगली स्टोरी के लिए इंतजार कीजिए…

कैसे खुल्लम-खुल्ला मैने चाची की चूत मे लण्ड घुसाया…

तुझे ही हक़ है मेरी चूत मारने का

तुझे ही हक़ है मेरी चूत मारने का

ल्लो दोस्तो, मेरा नाम स्नेहा है और यह मेरी कहानी है।

कहानी थोड़ी सच्ची है और थोडा मसाला डाला है, ताकि आपको चटपटी लगे।

तो कृपया लड़के अपने लण्ड हाथों में ले लो और सभी बहनें चूत में उंगली घुसा लें।

मेरे परिवार में कुल मिला कर चार लोग हैं, मेरे मम्मी-डैडी, भाई और मैं।

भाई मुझसे छोटा है और वो दसवीं में है और मैं बारहवीं कक्षा में।

हमारा घर काफी बड़ा है, मम्मी और डैडी दोनों जॉब करते हैं और भाई और मेरा अलग-अलग कमरा है।

जानती हूँ, क्या सोच रहे हो आप लोग, साली का कमरा अलग है फिर चूदी कैसे अपने भाई से?

अरे बाबा, सब बताउंगी पूरी कहानी तो पढो।

मेरा बदन दुबला-पतला है और मेरे बूब्स भी छोटे है, मेरा भाई मुझसे छोटा है और मेरे ही जैसा दुबला-पतला है।

मैं स्कूल से आने पर अक्सर घर का कुछ काम कर लेती थी, ताकि मम्मी को थोड़ी मदद मिले, जैसे सूखे हुए कपड़े उठा लेना और खाना बनाने की तैयारी कर लेना, वगेरह-वगेरह।

मुझे अक्सर मेरी चड्डी गीली मिलती थी जैसे उसे अभी-अभी धोया हो, जबकी बाकी सब कपड़े सूखे हुए रहते।

शुरू में मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर एक दिन मुझे मेरे भाई के कमरे से मेरी चड्डी मिली, जिस पर कुछ चिप-चिपा था।

मुझे समझने में देर नहीं लगी कि मेरे भाई ने मेरे चड्डी पर मुठ मारी है।

मैंने जल्दी से वो चड्डी उठाई और अपने कमरे में गई, कमरा बंद करके मैंने अपनी पहनी हुई चड्डी निकाल के मेरे भाई की मुठ मारी हुई चड्डी पहन ली।

हाय, कितना अच्छा लग रहा था, मैंने वैसे ही चड्डी पहने हुए उपर से चूत रगडनी चालू कर दी। कुछ ही देर में मेरे भाई और मेरा पानी एक हो गया था।

मैं सोचने लगी – मेरा पागल भाई चड्डी में मुठ मरता है, पागल कहीं का अपनी बहन की चूत की उसे कोई परवाह ही नहीं।

उस दिन से मैं रोज मेरे भाई के रूम में जाकर उसकी मूठ मारी हुई चड्डी लेकर आती और पहनती थी।

उसे भी शायद पता चल गया था कि मैं जान गई हूँ, वह मेरी चड्डी में मूठ मारता है।

अब उस बेवकूफ ने डर के मारे मेरी चड्डी पर मुठ मरना बंद कर दिया।

उसकी इस हरकत से मैं बेचैन हो गई थी, फिर मैं ही एक दिन उसके रूम में गई और कहा – राहुल, तुम्हारे पास वाली दवा कहाँ है?

वह मासूमियत से बोला – कैसी दवा दीदी?

मैं अनजान बनते हुए बोली – अरे वोही दवा जो तुम मेरे चड्डी पर लगते थे, बहुत असरदार दवा है, वह, मुझे वहाँ खुजली होती थी, जो बिलकुल बंद हो गई अब।

वह बहुत ज़्यादा डर गया था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।

मैं भी जब कुछ समझ नहीँ पाई कि बात कैसे आगे बढ़ाई जाए तो मैं उस पर ज़ोर से चिल्लाई – देता है या माँ को बुलाऊँ।

वह रोने लगा और बोला – दीदी, वह दवाई नहीं थी मेरे सुसु में से निकला हुआ पानी था।

मैं मन ही मन हंस रही थी पर मैंने हैरान होते हुए कहा – क्या तेरा पेशाब था वह।

वह बोला – नहीं दीदी, पेशाब नहीं… वह मैं जब अपने सुसु को हिलाता हूँ तो उसमे से सफ़ेद चिप चिपाहट वाला पानी निकलता है।

मैं हैरान होने का नाटक करने लगा और उससे पूछा – झूठ मत बोल, नहीं देनी है तो मत दे, ऐसा भी कभी होता है।

दीदी, आपकी कसम सच में ऐसा ही होता है, मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ। बेचारा मासूम चेहरा करके मुझे यकीन दिला रहां था।

थोड़ी देर चुप रह कर मैंने उसे कहा – राहुल, तुम कह रहे हो तो सच ही होगा, चलो मुझे निकाल के दिखाओ पानी।

वह डर गया – दीदी, मुझे नंगा होना पड़ेगा आप समझ नहीं रही हो, पानी मेरी सुसु से निकलता है।

मैंने अपने कपडे निकाल के फेक दिए और कहा – लो मैं नंगी हो गई, अब चलो अच्छे भाई बनो और कपडे निकालो।

बेचारा नीचे देख रहा था, अब मुझे गुस्सा आ रहा था, मैंने उसे थप्पड़ मारा और उसके कपडे निकालने लगी, उसकी आँखों में आँसू आ गए थे।

पर वह बेचारा समझ नहीं रहा था कि यह सब उसके भले के लिए ही तो मैं कर रही थी। मुझे सिर्फ लण्ड मिलने वाला था पर उसे तो चूत, गांड और मेरे मुँह में पानी डालने का मौका मिलने वाला था।

अब वह मेरे सामने नंगा था और मैं उसके आगे, मैं पहली बार किसी लड़के को नंगा देख रही थी, उसके लण्ड को हाथ में लेकर मैंने कहा – राहुल, क्या इसी से दवाई निकलती है?

हाँ दीदी, मगर उसके लिए इसे आगे-पीछे करना पड़ता है, इतना कहके वह अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगा।

मैंने उसे रोक और लण्ड अपने हाथ में ले लिया।

राहुल, मुझे बताओ में करती हूँ, दवाई मुझे लेनी है ना – इतना कहके मैंने उसका लण्ड अपने मुँह में लिया।

मैंने सिर्फ इतना सुना कि मेरे भाई ने कहा – दीदी, नहीं… पर उसकी कौन सुनने वाला था।

मैं उसके लण्ड को मुँह में लेकर अपने मुँह से आगे-पीछे करने लगी, हाय कितना अच्छा लग रहा था।

राहुल, आओ बिस्तर पर चलो, देखो तुम मेरी सुसु को चाटो और मैं तुम्हारे सुसु को चाटती हूँ, मेरी सुसु में से भी दवाई निकलती है, वह तुम्हारे बहुत काम की है।

आप को कैसे बताऊँ, क्या माहौल था वह, हम सगे भाई-बहन एक-दूसरे पर लेटे हुए, पसीने से बदन गीला हो रहा था, हाय रे!!! क्या बात थी उस पल की, बहनों, चूत चुदवाने का सही मज़ा तो अपने भाई से ही।

पसीने और उसके लण्ड की खुशबू ने मुझे दीवाना बना दिया था, तभी भाई बोला – दीदी, पानी निकलने वाला है, मुँह अलग कर लो।

मैंने कहा – तू चिंता न कर यह पानी विटामिन वाला है… तू मुँह में ही गिरा दे। इस से तेरी बहन खुबसूरत हो जाएगी।

मेरे इतना कहने कि देर थी कि वह मेरे मुँह में आ चूका था, मैं जितना निगल सकी निगल लिया और फिर उसके लण्ड को मुँह से अलग किया।

अब भी मेरे मुँह में उसका वीर्य था, मैंने उसे नजदीक लिया और किस करने लग गई।

वह कुछ समझ पता, इसके पहले ही मैंने अपनी मुँह से पूरा थूक और वीर्य उसके मुँह में डाल दिया और उसे किस करते हुए उसका मुँह बंद रखा, बिचारे को वह सब निगलना पड़ा।

अब हम बेड पर लेटे हुए थे, बिल्कुल थके हुए।

ना जाने उसे क्या हुआ, वह उठा और मेरी चूत को चाटने लगा, मैंने पुछा – क्या कर रहा है?

वो बोला – दीदी, आपने मेरा पानी निकाला, अब मेरा फ़र्ज़ है कि मैं भी आपका पानी निकालूँ।

मैंने कहा – हाँ राहुल मेरे भाई, निकाल पानी और याद रख तुझे मेरी चूत भी मारनी है, मेरा भय्याराजा है ना तू, तुझे ही हक़ है मेरी चूत मारने का।

अब वह चूत चाट रहा था और मैं हाय रे… ऊह्ह… आह्ह्ह्ह… मर गई, राहुल चाट ले रे… ऒह्ह्ह्ह… मजा आ रहा है… मार ले अपनी बहन की चूत… कह रही थी।

कैसे मेरी चूत में मेरे सगे भाई का लण्ड घुसा और क्या बेवकूफी हमने की…

यह अगर जानना है तो एम एस एस पड़ते रहिये…

तब तक यह बताइए कि अगर भाई-बहन की चुदाई ग़लत है तो आख़िर भाई का लण्ड बहन की चूत देख कर खड़ा ही क्यूँ होता है, या बहनों की चूत भाइयों के लण्ड देख कर गीली ही क्यूँ होती है?

मामी के मुँह में मेरा लण्ड

मामी के मुँह में मेरा लण्ड

मेरे प्यारे दोस्तो,

आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ…

मेरा नाम युवराज है। मैं 20 साल का हूँ और मेरा कद 5.7 है, मैं सतारा- महाराष्ट्रा से हूँ।

अब मैं मेरी मामी के बारे में बताता हूँ, उनका नाम सविता है और वो 32 साल की हैं।

उनकी फिगर 32-30-34 की है और एकदम गोरी हैं।

दोस्तो, यह कहानी जनवरी 2009 की है…

मेरी मामी उस समय कुछ कार्यक्रम से उनके ससुराल आई थीं, चार दिन के लिए और सब कार्यक्रम होने के बाद वो पुणे जा रही थी, लेकिन वो अकेली थी और उनके साथ उनके दो बच्चे थे।

उनके पति यानी मेरे मामा सरकारी नौकरी में है तो वो नहीं आए थे, मेरी मामी ने मुझसे बोला – तुम हमें पुणे छोड़ आओ और कुछ दिन वहाँ रह भी लेना।

मैंने बोला – सोच के बताता हूँ, क्यूँ की मेरा कॉलेज था।

उसके बाद मामा का भी कॉल आया कि मामी को छोड़ने पुणे आ जाओ, तो फिर मैंने हाँ बोल दी।

दो दिन बाद मैं मेरी मामी के साथ पुणे चला गया।

मेरे मामा उस वक्त मुंबई में थे, नौकरी के कारण और एक दिन रहने के बाद मामा वापस चले गये।

मामा को दो लड़के थे – एक 7 साल का और एक 3 साल का।

तो दोस्तो, मेरी मामी घर में गाउन पहनती थीं, उनका बड़ा लड़का सुबह 8 बजे स्कूल जाता था और 4 बजे आता था। छोटा सिर्फ़ 3 साल का था।

मैं मेरी मामी के साथ ही पूरा दिन बात करता और टी।वी। देखता था।

सुबह मैं अक्सर देर से ऊठता था पर मामी सुबह जल्दी नहा लेती थीं।

ऐसे ही एक दिन नहाने के बाद, मामी ने मुझे उठाया और मैं जब नहाने बाथरूम में गया तो देखा कि मामी की काली पैंटी सुख रही थी…

उसी दिन दोपहर को मैंने और मामी ने खाना खाया और फिर मैं टीवी देख रहा था और मामी किचन में थीं।

दोस्तो, ना जाने मुझे क्या सूझा, मैं उठा और किचन में जा कर सीधे मामी को पीछे से कस के पकड़ लिया।

मैं सच कह रहा हूँ, मुझे पता ही नहीं चला कि उस वक्त मुझे क्या हुआ…

मैं पागलों की तरह, मामी के बूब्स दबाने लगा।

मामी बोलीं – ये क्या कर रहे हो तुम, पागल हो गये हो क्या?

मैंने कुछ सुना नहीं और बस मामी को यहाँ-वहां दबाने लगा। फिर मामी ने मुझे ज़ोर से धकेला और बोला – पागला गये हो क्या? ये सब क्या कर रहे हो?

मैंने बिना सोचे मामी को बोला – आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

फिर मामी बोलीं – तुम सच मे पागल हो गये हो।

मैंने मामी को कहा – मुझे नहीं पता, पर मुझे अभी आपके साथ सेक्स करना है… और मैंने सीधा मामी को फिर से पकड़ लिया।

मामी छुड़ाने की बहुत कोशिश कर रही थीं, पर मैंने ज़ोर से पकड़ रखा था।

मामी बोलीं – ऐसा मत कर ये सब अच्छा नहीं है।

मैंने कुछ नहीं सुना, सीधा मैंने उनके मुँह में मुँह डाल दिया और किस करने लगा और उनकी पीठ सहलाने लगा।

उनको किस करते वक्त मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, पर मामी अभी भी मना कर रही थीं।

मैंने उनको ज़ोर-ज़ोर से चूमा। मैं बेतहाशा उनके बूब्स दबा रहा था।

कुछ देर बाद मैं उनकी गाण्ड दबाने लगा। कुछ देर ऐसे ही ज़बरदस्ती करने के बाद मामी भी गरम होने लगीं थीं।

धीरे-धीरे अब वो मना नहीं कर रही थी…

फिर आख़िरकार मामी भी मेरा साथ देने लगीं थीं…

सो, अब मैंने मामी का गाउन और पेटिकोट ऊपर किया और पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत सहलाने लगा।

मामी आ… आ… आहह… उफ़… उः… कर रही थीं। कुछ ही देर में वो बहुत गरम हो गईं थीं,

अब मैंने मामी का गाउन और पेटिकोट उतार दिया। मामी बस अब क्रीम कलर की ब्रा और नेवी ब्लू कलर की पैंटी में थी।

फिर मैंने ब्रा के हुक खोल दिए और मामी के बूब्स नंगे कर दिए और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनके नंगे चुचों को मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगा।

मैं अब मामी का पूरा शरीर चाट रहा था, उनकी जांगें… उनका पेट… हाथ… गला… चुचे… गाण्ड… सब कुछ।

कुछ देर बाद मैंने मामी को गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया… मैंने अब मेरी टी शर्ट और पैंट निकाल दी और सिर्फ़ अंडरवियर में उनके उपर लेट गया और मुँह में मुँह डाल के चूमने लगा।

क्या मस्त लग रहा था मुझे…

फिर मामी ने खुद ही अपनी दोनों टाँगे फैलाई और मैं सीधा उनकी पैंटी के उपर से ही उनकी चूत चाटने लगा।

पैंटी बिल्कुल गीली थी, बहुत ही मादक स्वाद था उनकी पैंटी का…

अब मैंने पैंटी उतार दी और देखा गीली पड़ी नंगी चूत जिसपर छोटे-छोटे बाल थे।

मैंने बिना देर किए उसके अंदर अपनी उंगली डाली और अंदर-बाहर करने लगा।

मामी को भी अब बहुत मजा आ रहा था, मैंने देर ना करते हुए सीधा मुँह चूत के ऊपर रखा और गीली नंगी चूत चाटने लगा।

चूत में से जो पानी आ रहा था, वो भी मैं लगातार चाट रहा था…

15 मिनट चूत चाटने के बाद, मैंने मामी से कहा – मामी, मेरा लण्ड मुँह में ले लो…

मामी भी मेरा लण्ड अपने हाथों से सहलाने लगी और फिर मुँह मे लेकर चूसने लगीं। मैंने अब मामी को 69 पोज़िशन में ले लिया…

मामी मेरा लण्ड चूस रही थीं और फिर से मैं मामी की गीली नंगी चूत चाट रहा था और साथ ही साथ में उनकी गाण्ड भी चाट रहा था।

भले ही मामी चुप थीं पर हम दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था।

10 मिनट तक मामी ने मेरा लण्ड चूसा और फिर मैंने मामी को लिटाया और उनकी चूत मे लण्ड डालने लगा।

धीरे-धीरे धक्के दे रहा था और लण्ड मामी की चूत में जा रहा था, बहुत ही गरम हो गई थी, मामी की चूत…

4-5 ज़ोर के धक्के देने के बाद मेरा लण्ड पूरा अंदर घुस गया और फिर मैं लण्ड को मामी की गीली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

मामी भी सिसकारियाँ ले रहीं थीं। कुछ ही देर में मामी भी ज़ोर-ज़ोर से अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगीं।

फिर उन्होंने मेरी कमर को पकड़ लिया।

मैं लगातार धक्के दे रहा था और मामी मेरी पीठ में नोच रही थीं, मुझे दर्द हो रहा था जिससे मैं ज़ोर-ज़ोर से मामी की चूत मे लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। करीब बीस मिनट के बाद मामी की चूत में से गरम-गरम पानी आया और उसके दो मिनट में मैंने भी मेरा रस, मामी की चूत मे छोड़ दिया…

फिर काफ़ी देर मैं ऐसे ही पड़ा रहा, मामी के ऊपर…

उस दिन रात को मैं ने मामी के साथ पाँच बार सेक्स किया…

आज भी मुझे जब मौका मिलता है तब मैं और मामी सेक्स करते है।

ये कहानी कैसी लगी ये ज़रूर बताना…